Jeevan Death Anniversary: फिल्मों में जितना अहम रोल हीरो-हीरोइन का होता है, उतना ही विलेन को भी महत्व दिया जाता है. अलग-अलग दौर में विलेन अपनी छाप छोड़ते गए और हिंदी सिनेमा में ऐसे कई एक्टर्स रहे हैं जिन्होंने विलेन का रोल कुछ ऐसा किया कि लोग उन्हें असली में बुरा समझने लगे थे. उन एक्टर्स में से एक जीवन भी थे जिन्होंने कई साल फिल्मी दुनिया में अपना योगदान दिया और फिर एक गंभीर बीमारी के साथ दुनिया को अलविदा कह गए.
जीवन को आपने पुरानी फिल्मों में बतौर विलेन देखा होगा. अलग-अलग फिल्मों में जीवन का रोल कुछ ऐसा रहा जो यादगार बन गया. फिल्मों में जितना खूंखार उन्हें दिखाया गया वो रियल लाइफ में उतने ही अच्छे इंसान हुआ करते थे. जीवन का अंत कैसे हुआ, उनके जीवन में क्या-क्या परेशानियां रहीं, चलिए आपको बताते हैं.
जीवन का फैमिली बैकग्राउंड
ब्रिटिश इंडिया के जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में 24 अक्टूबर 1915 को ओमकार नाथ धर का जन्म हुआ. फिल्मों में आने के बाद उनका नाम जीवन रखा गया. जीवन कश्मीरी पंडित परिवार से बिलॉन्ग करते थे.
इनके दादाजी ब्रिटिश इंडिया सरकार में गवर्नर थे. बचपन में ही जीवन की मां का निधन हो गया था और जब वो कुछ बड़े हुए तो पिता का भी निधन हो गया था. जीवन ने एक लड़की से शादी की जिनसे उन्हें दो बेटे थे लेकिन जिनमें से एक का निधन हो गया था लेकिन दूसरे लड़के किरण कुमार हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं.
जीवन का संघर्ष और पहली फिल्म
लाइफ की परेशानियों के कारण जीवन ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की. लेकिन उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से रहा है. इसी वजह से वो मुंबई आए लेकिन एक्टिंग का काम नहीं मिला. हालांकि उन्हें मोहन सिन्हा के स्टूडियो में रिफ्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का जॉब मिला था.
इसके बाद धीरे-धीरे उनकी किस्मत बदल गई और एक्टिंग करियर की तरफ उनका करियर बढ़ा. 50’s के दशक में उनकी पहली फिल्म आई और लेकिन उन्हें पहचान देव आनंद की फिल्म जॉन मेरा नाम (1970) से मिली.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीवन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि लोग उन्हें असली में विलेन समझने लगे थे. एक बार ट्रेन से सफर करने के दौरान एक महिला ने इनकी काफी इंसर्ट की थी क्योंकि वो उन्हें असल में विलेन समझती थी. जीवन ने उसे जाने दिया ये सोचकर कि उनका काम दमदार है इसलिए लोग उन्हें असल में विलेन समझते हैं.
जीवन की फिल्में
जीवन ने अपने करियर में ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘नागिन’, ‘हीर-रांझा’, ‘लावारिस’, ‘सुरक्षा’, ‘धरम-वीर’, ‘अफसाना’, ‘वक्त’, ‘रोटी’, ‘भगवान परशुराम’, ‘आंखें’, ‘नया दौर’, ‘जान पहचान’ और ‘उरन खटोला’ जैसी सुपरहिट फिल्में कीं.
जीवन का निधन
जीवन ने अपने करियर में लगभग 40 फिल्मों में नारद मुनी का रोल प्ले किया और लोग उन्हें वही समझने लगे थे. जीवन को बॉलीवुड का नारद-मुनी कहा जाता है. इसके अलावा उन्होंने जितनी फिल्में की उसमें विलेन ही बने. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीवन को लंग इंफेक्शन हो गया था और वो धीरे-धीरे इतना बढ़ा कि वो काफी बीमार रहने लगे. 10 जून 1987 को मुंबई में जीवन का निधन हो गया था.
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